lahol and Spiti valley

 स्पीति घाटी  हिमाचल प्रदेश के राज्य में स्थित है यह   समन्दर तल से 12500 मीटर की ऊंचाई  पर है  स्पीति घाटी उच्च पर्वत और श्रृंखलाओं से गिरी हुई है स्पीति घाटी का अर्थ मध्य भूमि है अर्थात् भारत और तिब्बत के बीच की भूमि।  यहां का नजारा देखने पर्यटक दूर-दूर से आते हैं स्पीति घाटी  की खूबसूरत पहाड़ियां स्थिति को और ज्यादा खूबसूरत बनाती है लाहौल और स्पीति घाटी दोनों ही एक दूसरे से विभिन्न है। लाहौल घाटी की यात्रा के लिए परमिट प्राप्त करना बेहद मुश्किल है यहां की एक विशेष बात यह भी है कि  लाहौल ओर स्पीति की अपनी कोई मुख्य भाषा नहीं है यहां विभिन्न बोलियां बोली जाती हैं।यहां बौद्ध धर्म के लोग ज्यादा निवास करते है हिमाचल प्रदेश में किन्नौर ओर लौहोल स्पीति में ही ज्यादा बौद्ध धर्म के लोग निवास करते है।



लाहौल शब्द को तिब्बती भाषा में (गार्जा) मतलब अज्ञात देश एवं मौन कहा जाता हैं  लाहौल घाटी में वास्तव में मिश्रित प्रजाति के लोग रहते हैं तिब्बती भाषा में लाहौल को लहोयुल   भी कहा जाता है तिब्बती शब्द लहोयुल  का अर्थ दक्षिणी देश से है  इसका अर्थ  है देवताओं का देश।  

मठ का अर्थ

मठ का अभिप्राय एक ऐसे संगठन से है   जहां उनके गुरु अपने शिष्यों को  शिक्षा इतियादी प्रदान करते थे ये गुरु धर्म गुरु होते हैं इनके द्वारा दी गई शिक्षा मुख्य रूप से आध्यात्मिक होती है एक मठ में कार्य के अतिरिक्त समाजिक सेवा एवं साहित्य इतियादी से संबंधित कार्य भी होते हैं।

लाहौल स्पीति घाटी में घूमने की जगह

सुरजताल

स्पीति घाटी में आप  सुराजताल झील देखने जा सकते है जो कि भारत की तीसरी सबसे बड़ी झील मानी जाती हैं यहां का अद्भुत नजारा किसी का भी में मोह लेता है। 



बारालाचा ला

यह दर्रा बारालाचा पास के नाम से जाना है यह दर्रा लाबौल ओर लद्दाख के बीच 1616फीट की ऊंचाई पर एक संपर्क के रूप में कार्य करता है

        


ला का अर्थ 

ला एक तिब्बती शब्द है जिसे हिंदी भाषा में दर्रे कहा जाता है कायदे से इससे दर्रे ही कहना चाहिए जैसे- बारालाचा ला का अर्थ बारालाचा दर्रे   लेकिन  यह प्रयोग फिर भी प्रचलित है 


ताबो मठ

इस मठ का निर्माण 996 ई में हुआ था यह बोध धर्म के लोगों के लिए आस्था का प्रतीक माना गया हैं यह मठ यहां का सबसे पुराना मठ बताया जाता है इस मठ के चारो ओर ताबो शहर है जो इसकी खूबसूरती को चार चांद लगा देता है

                     


की मॉनेस्ट्री 

इस मठ के समीप एक नदी भी बहती है जिसे स्पीति नदी कहा जाता हैं यह स्थान भगवान बो द्ध की मूर्तियों के साथ ओर कई प्राचीन  पुस्तको का अद्भुत संग्रह है 

              



कुंग्री

कूंग्री स्पीति का  दूसरा पुराना मठ हैं यह स्पीति पिन घाटी में स्थित एक ही ऐसा मठ है जो निंग्मापा क्रम का है ये लगभग 1330 ई  के  आसपास बना है

  

   

काई मठ 

काई मठ स्पीति घाटी का सबसे पुराना ओर सबसे बड़ा मठ है यह तिब्बती बौद्ध मठ के नाम से भी जाना जाता है  यह मठ वस्तुकला का एक उत्कृष्टठ उदाहरण है यह समन्दर तल से 4,166 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है

           



धनकर गड़,झील

धनकर गड़ एक चोटी पर स्तिथ है यह मुख्य घाटी में है जिसके चारो ओर हरियाली है धनकर गड़ से ही 45की0मी की दूरी पर धनकर झील स्थित हैं  यहां का नजारा एक अद्भुत दृश्य को दर्शाता है

 


किब्बर

किब्बर एक बहुत ही खूबसूरत गांव है यह काजा से केवल 16किमी की दूरी पर स्तिथ है किब्बर गांव दुनिया का सबसे ऊंचा गांव है ओर यहां देखने के लिए वन्य जीव अभयारण्य भी है जो इस गांव की खूबसूरती में चार चांद लगा देता है

  

चंद्रताल झील 

चंद्रताल हिमालय की ऊंचाई पर स्थित एक झील है जो अपनी मनमोहक सौंदर्य के लिए प्रसिद्ध है यह समन्दर तल से 43,00 मीटर की दूरी पर स्थित है। यह झील चंद्रमा जैसी दिखाई पड़ती  है और इसीलिए चन्द्रमा जैसे आकार के कारण ही इस झील का नाम चंद्रताल पड़ा

                  


  गयू  मम्मी स्तूप

 गयू ममी एक बेहद अद्धभूत  ओर  आश्चर्य  वाला स्थान हैं।  यह मानना मुश्किल होगा कि यहां एक मम्मी का स्तूप हैं किंतु अधिकांश लोग इस स्तूप के अस्तित्व के बारे में नहीं जानते हैं ये जगह उतनी प्रसिद्ध नहीं है।  स्थानीय लोगों के अनुसार कहा जाता है कि यह मम्मी सदियों से यहां है और इस मम्मी के बाल ओर नाखूनों में निरंतर बढ़ोतरी हो रही है गयू में मम्मी लगभग 550 साल पुरानी बताई जाती हैं।





    








यात्रा का समय

  लाहौल स्पीति घाटी का यात्रा का सबसे अच्छा समय गर्मी का  रहता है जिससे आप अपने परिवार के साथ अच्छा समय व्यतीत कर सकते है ओर आपको यात्रा में किसी भी परेशानी का सामना नहीं करना पड़ेगा 

आप लाहौल स्पीति की यात्रा बस या टैक्सी के द्वारा भी कर सकते है यदि आप दिल्ली से यात्रा कर रहे है तो  आपको लाहौल स्पीति घाटी तक 19 या 20 घंटे लगेंगे  पर यदि अा अटल टनल से यात्रा करेंगे तो आपको लगभग 5 घंटे की यात्रा कम हो जाएगी यानी आप 15 या 16 घंटे में ही लाहौल स्पीति पहुंच जाएंगे 

बस द्वारा यही आप यात्रा करते है तो आपको पहले दिल्ली से शिमला के लिए बस लेनी पड़ेगी ओर फिर वहां से आप किन्नौर या रिकांगपिओ वाली बस में भी यात्रा कर सकते है ओर फिर आप रिकांगपिओ से लेह के लिए भी बस में यात्रा कर सकत हैं और लेह से आप स्पीति घाटी की वादियों का आनंद ले सकत है 


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