Key monestry

दोस्तो जैसा की आप सब जानते हो कि में कीह मठ के बारे में आप सब को बताने जा रही हूं तो दोस्तो अगर आप कीह मठ के बारे में बारीकी से जानकारी  चाहते हो तो आप मेरे ब्लॉग को पूरा पड़े जिसमें मैने कीह मठ के बारे में सम्पूर्ण जानकारी देने की कोशिश की है 

जैसा कि आप इस अद्भुत मठ के अंदर कदम रखते हैं, आप इसकी खूबसूरत दीवारों को देखेंगे जो चीनी संस्कृति से प्रभावित 14 वीं शताब्दी की मठ वास्तुकला से युक्त भित्ति चित्रों और चित्रों से आच्छादित हैं। यह अपनी दुर्लभ पांडुलिपियों, अद्वितीय पवन उपकरणों, बुद्ध की मूर्तियों और हमलावरों से बचने और मठ की रक्षा करने के लिए हथियारों का एक अद्भुत संग्रह के लिए भी लोकप्रिय है।


 कीह मठ लाहौल जिले में एक बेहद प्रसिद्ध मठ है  यह मठ  एक खूबसूरत पहाड़ी पर स्थित है समन्दर तल से कीह मठ की ऊंचाई 4,166 मीटर यानी (13504 फीट) है ओर इस मठ को एक हज़ार साल पुराना बताया जाता हैं स्पीति घाटी का यह सबसे पुराना, जटिल ओर  बड़ा मठ हैं  इस मठ की स्थापना 13वीं  शताब्दी में हुई थी।  कीह का अर्थ होता है ( चाबी ) ओर ( मठ ) आश्रम । 

  

    मठ का  इतिहास

 कीह  मठ की स्थापना 11 वीं शताब्दी में हुई थी कीह मठ  का वास्तुकार ड्रोमटन  है   इसकी दीवारों में मनमोहक मूर्तिया चित्रित हैं जो इस मठ की खूबसूरती में चार चांद लगा देती हैं इन चित्रों और मूर्तियो को 14वी सदी में मठवासी वास्तुकला का एक उदाहरण हैं जो उस समय बहुत प्रचलित थी यह वास्तुकला चीनी वास्तुकला से प्रभावित हो कर विकसित की गई है बौद्ध  इस मठ में लगभग 100 भिक्षुओं को बौद्ध धर्म की शिक्षा दी जाती थी यह मठ शिक्षा के लिए भी प्रचिलत था। वर्ष 1830 में लद्दाख ओर कुल्लू के बीच युद्ध यहां युद्ध हुआ था जिसे इस मठ को ओर यहां के आस पास के क्षेत्रों को  काफी क्षति पहुंची थी। ओर उसके 1841 में यहां एक ओर युद्ध हुआ था जो गुलाम खान और रहीम खान की सता में उनकी सेना जिसका नाम  डोगरा  रखा गई था उन्होंने इस क्षेत्र को काफी गंभीर रूप से क्षति  पहुंचाई  थी। इतनी गंभीर ओर कठिन मुश्किलों का सामना करते हुए भी कि मिनिस्ट्री का नजारा बेहद खूबसूरत और आकर्षक दिखाई देता है और वो बेहद मजबूत है

    


मोंक (Monk) - (किसी धार्मिक समूह का सदस्‍य जो मठों में वैरागी जीवन व्‍यतीत करते हैं; संन्‍यासी, मुनि, वैरागी)



 

मठ की कुछ खास बातें

मोनेस्ट्री  में  बौद्ध धर्म की पढ़ाई के साथ-साथ  हिमाचल बोर्ड की शिक्षा भी दी जाती है यहां रह रहे मुनि के लिए रहने खाने  ओर सोने की व्यवस्था यहीं की जाती है यहां इस मठ में तिब्बत से लाई गई पुस्तके ओर कपड़े से बनाई पेंटिंग भी हैं पर्यटकों के लिए यह बहुत एतिहासिक ओर आकर्षिक केंद्र हैं 1840 के दशक में यहां पर आग लग गई जिसके कारण पूरा का पूरा मठ जल कर राख हो गया था और फिर बाद में इस मठ का फिर से पुनः निर्माण कर लिया यहां लगभग 250-300 लामाओं का घर, जो तिब्बती बौद्ध धर्म में आध्यात्मिक नेता हैं, तेजस्वी मठ, लामा के लिए तिब्बती बौद्ध भिक्षुओं के गेलुग संप्रदाय द्वारा चलाए जा रहे पूरी तरह कार्यात्मक धार्मिक प्रशिक्षण भूमि के रूप में कार्य करता है। 

   




यात्रा का सही समय

  कीह मठ की यात्रा का सही समय जुन से अक्तूबर के बीच का होता है इस समय मौसम  साफ रहता है और आपको किसी भी दिक्कत का सामना नहीं करना पड़ेगा पर यदि आप सर्दियों में यहां के ख़ूबसूरत नजारे का लुफ़्त उठाने चाहते हैं तो आपको मार्च से जुन के बीच के समय यहां आना चाहिएं बर्फ से ढंकी पहाड़ियां  यहां के नज़रे को चार चांद लगा लेती हैं

 
 

 कैसे पहुंचे

किह मोनास्ट्री काजा से 14 किमी दूर स्थित है जो मठ के लिए निकटतम बस स्टेशन है। प्रमुख मठ तक पहुँचने के लिए, आपको काजा तक पहुँचना होगा चाहे आप मनाली से आ रहे हों या शिमला से। मनाली और शिमला दोनों से काजा तक कई बसें चलती हैं, जो आमतौर पर काजा तक पहुंचने में लगभग 10 से 12 घंटे का समय लेती हैं। 

     




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