prashar lake trek blog mandi, Himachal pardesh
पराशर झील हिमाचल प्रदेश के मंडी जिला में है। यह मंडी से 49 किलोमीटर दूर सथित है। यह हिमाचल प्रदेश की प्राकृतिक झीलों में से एक है। समुन्दर तल से यह 2730m ऊंचाई पर स्थीत है।
पराशर हम सड़क के माध्यम से पहुंच सकते है। मनाली जाते समय या लौटते समय मंडी रास्ते मे पड़ता है। मंडी से निजी बाहन में यहां पहुंचने की लिए दो घंटे का समय लग जाता है।
पराशर पहुंचने के रास्ते
- मंडी से जोगिन्दर की सड़क पर लगभग ढेड़ किलोमीटर दूर एक सड़क दायी और चढ़ती है। यह सड़क कटौला ब काडी होकर बागी पहुँचती है यहां से पैदल ट्रेक दोवारा झील मात्र 8 कीमी रहती है। बागी से आगे गाड़ी से भी जाया सकता है।
- दूसरा रास्ता राष्ट्रिय राजमार्ग पर मंडी से आगे बसे सुन्दर पनीले स्थल पंडोह से नोरबदार होकर पहुंचता है।
- तीसरा रास्ता माता हणोगी मंदिर से बाहँदी होकर है
- चौथा रास्ता कुल्लू से लोटते समय बजौरा नामक स्थान के संगोळी होकर है।
मंडी से द्रंग होकर भी कोटला कांडी बागी जाया जा सकता है। पराशर पहुंचने की सभी रास्ते हरे भरे जंगली पेड़ पौधे फल फूल ब जड़ी बूटियों से भरपूर है और ज्यों ज्योँ पराशर के निकट पहुंचते है प्रकृति का ढंग भी बदलता जाता है।
पराशर मंदिर ब झील का दृशय
पौराणिक मान्यतो के अनुसार ऋषि पराशर ने इस स्थान पर तप किया था। तो इस झील का नाम तो पराशर ऋषि के नाम पर ही पड़ा है।यहां पर परशर ऋषि का मंदिर तो १४बी और १५बी शताब्दी में मंडी की तत्कालीन राजा बानसेन ने बनबाया था। लेकिन झील की बारे में किसी कोई जानकारी नहीं है। माना जाता है की तब से ये सृस्टि का निर्माण हुआ है। तभी से ये झील भी बनी है। 9100 फ़ीट की ऊंचाई पर बनी इस झील में पानी कहां से आता है कहाँ जाता है किसी को कुछ भी पता नहीं है। इस झील के बिच में एक भू भाग है। यहां किसी देवियो सकती होने का प्रमाण देता है ये भू भाग झील के बिच मे तैरता है। पहले ये दिन मे झील के चकर लगता था पर अब महीनो मे घूमता है। स्थानियो भाषा में इसे टहला कहा जाता है।
परशर ऋषि का मंदिर पैगोडा शैली से बना है मंदिर के पूजा कष में ऋषि पराशर की पिंडी बिष्णु शिव ब महिषासुर मर्दिनी की पाषाण प्रतिमाए है। पराशर ऋषि बाशिस्ट के पौत्र और मुनि शक्ति के पुत्र थे। पराशर ऋषि की पाषाण की प्रतिमा में गजब का आकर्षण है इस झील' में मछलिया भी है जो अपने आप में गजब का आकर्षण है।
पराशर झील के निकट हर बर्ष आषाढ़ की सक्रांति ब भाद्रपद की कृष्ण पक्ष की पंचमी को विशाल मेले लगती है। भद्र पक्ष मे लगने बाला मेला पराशर ऋषि की जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है पराशर स्थल से कुछ किलो मीटर ग्राम बांधी में पराशर ऋषि का भंडार है। जहां उनकी मोहरे है। यहां के लोग पराशर ऋषि में गहरी आस्था रखते है। और यहां अनेक श्रद्धालु दर्शन के लिये पहुंचते है।
पराशर झील कैंपिंग और ट्रैकिंग के लिये भी काफी प्रसिद्ध है यहां पर आप प्रकृति के साथ शांत बाताबरण में समय बिता सकते है। यहां का मौसम काफी सुहाबना रहता है। जिसका शब्दों में बर्णन नही किया जा सकता आप यहां पहुंच कर यहां की प्रकृति का आनद ले सकते है।
जय पराशर ऋषि
Great work
जवाब देंहटाएंI love your work
जवाब देंहटाएं