Triund trek
पहाड़ो और घाटियों के बिच तारो भरे आसमान के निचे
राते गुजारने में एक अलग जिंदगी का मजा है।
इस लिए में जब बी समय लगता है पहाड़ो की तरफ
खींचे चले आते है।
वैसे तो हिमाचल सारा ही काफी खूबसूरत है। लेकिन कुछ जगह पर प्रकृति काफी मेहरबान होती है मानो ये जगह जन्नत से कम नहीं लगती यहां पर सूर्यास्त और सूर्योउदय से लेकर सारे दृशय मन को मोह लेने बाले होते है।
अगर आप धर्मशाला मक्लॉडगंज की यात्रा पर है। इस यात्रा में रोमांच लाना चाहते है तो आप त्रिउंड ट्रेक पर जा सकते है त्रिउंड समुन्दर तल से 2828 मीटर की ऊंचाई पर स्थीत है। यह हिमाचल प्रदेश के जिला काँगड़ा का छोटा सा हिल स्टेशन है।जहां हजारो की संख्या में हर बर्ष पर्यटक आते है। और प्रकृति की शांति,सुंदरता का अनुभव करते है।
कैसे पहुंचे
आप देश की राजधानी दिल्ली से मक्लॉडगंज सड़क के रास्ते आ सकते है नजदीकी रेलवे स्टेशन काँगड़ा में है। बहां से आप मक्लॉडगंज सड़क के माध्यम से टैक्सी या बस बगेरा में आ सकते है। और नजदीकी हवाई अड्डा गगल में है। बहां से आप सड़क के माधयम से आप मक्लॉडगंज पहुंच सकते है
कब जायें और क्या साथ ले कर जाये
जाने से पहले मौसम को एक बार जरूर चेक कर ले त्रिउंड जाने के लीये मार्च से जून और सितम्बर से नवम्बर का समय उपयुक्त है। खाने को मैगी मिलती है। या दाल चावल मिलते है लकिन फिर भी भरोसा कर के न जाये तो अपना खाने का समान ले कर जाये ,स्लीपिंग बैग ईंधन टेंट ले कर जाये
खूबसूरत शांत त्रिउंड ट्रैक
मक्लॉडगंज से त्रिउंड कैंपिंग साइट की दुरी 9 किमी आप इसे धर्मकोट से भी शुरू कर सकते है बहां से ये 7 किमी दूर है मक्लॉडगंज से धर्मकोट आप गाड़ी के माध्यम से भी जा सकते है। धर्मकोट से ट्रेक तक़रीबन 7 किमी दूर है और आपको कैंपिंग साइट तक पहुंचने के लिए तकरीबन 3 से 6 घंटे का समय लग सकता है
आप धर्मकोट से भागसूनाग - शिवा कैफ़े होते हुए त्रिउंड पहुंच सकते है
त्रिउंड ट्रेक का यह सफर शुरू होता है मक्लॉडगंज से जो की तिबत्त की निर्बासित सरकार की राजधानी है।
यहां से ही त्रिउंड के रोमांचक सफर की शुरुआत होती है। घुमबदार रास्ते और पखडंडियो के सहारे प्रकृति का आनद में एक अलग सा सकूँ होता है खूबसूरत पगडंडिया से होकर गुजरता रास्ता आपके हर क्षण उत्साह से भर देता है इस ट्रक पर आप को प्रकृति के काफी नजारे देखने को मिलेंगे जो की आप के मन को रोमांचित कर दंगे इस ट्रेक पर 1-1 किमी के बाद आपको खाने पिने के समान बैली दुकाने मिल जाएँगी
यह रास्ता शुरू में तो आसान है लकिन अंत के 2 किमी आपको खड़ी चढाई चढ़नी पड़ेगी। लेकिन जब आप ऊपर पहुंच कर नजारा देखोगे तो आपकी थकान को दूर कर देगा .धौलाधार की शांत खूबसूरत बर्फ से ढकी पहाड़िया बहुत ही खूबसूरत लगती है।
ब्रिटिश काल की ये ऐतिहासिक सी जगह त्रिउंड चोटी पर घास का एक खुला मैदान है यह चारो और बर्फ से ढके धौलाधार के पहाड़ो से घिरा हुआ है कहीं भी जगह मिलने पर टेंट गाड़ सकते है। और बहा पर पथरो का चूल्हा बनाये , लकडिया भी ढूंढ़नी पड़ेगी और कुछ बना सकते है। रात में यहां की दुनिया हमारी दुनिया से अलग होती है। टिमटिमाते तारे खुले आसमान के निचे और ठंडी हवाएं , सुबह सूरज की पहली किरण में चारो और धौलाधार के उजले पहाड़और त्रिउंड की गहरे रंग की घास आपको जन्नत सा अहसास देगी
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