shrikhand mahadev trek in hindi
श्री खंड महादेव
जय भोले दोस्तो।
आइए हम वर्णन करते है श्रीखंड महादेव ट्रेक श्रीखंड महादेव भगवान भोलेनाथ जी का निवास स्थान माना जाता है। जो की महादेव के भक्तो के लिये अतुल्नीय स्थान है ये समुन्दर तल से 5227 मीटर यानी 17150 फ़ीट की ऊंचाई पर स्थीत है। यह ट्रेक बहुत ही खुबसूरत है यहां की कहानी बड़ी ही रोचक है दृढ़ इच्छा शक्ति वाले लोग ही इस यात्रा को पूरा कर पाते है। यकीन मानो मैने इस ट्रैक को बहुत कड़ी मशकत से पूरा किया है पर इस यात्रा को बहुत कम लोग ही पूरा कर सकते हैं। पर मुझे पूरा यकीन है यदि आप भी हिम्मत ओर जज्बे के साथ दर्शन पाने की इच्छा रखते हो तो आप आप भी इस ट्रेक को पूरा कर सकते हैं। इस ट्रैक पर हमने ठण्ड का ओर बड़े - बड़े ग्लेशियर तेज तर्रार झरने बड़े - बड़े पथरो का सामना किया है आपको यहां बहुत किसम की जड़ी बुटिया और आपको चारो ओर हरियाली देखने को मिलेगी जो यहां की खूबसूरती को चार चांद लगाती है ऐसा लगता है मानो जैसे जन्नत मिल गई हो यहां पर आपको कही बर्फ के गलेशियर , कहीं पेड़ पोधे,कहीं पत्थरों से भरा, तो कहीं फूलों से भरी पहाड़ी, ब्रहम कमल जैसे फूलो के नज़ारे देखने को मिल जाएंगे
shrikhand mahadev trek in hindi
इस ट्रेक का मुख्य आकर्षण
इस ट्रेक का मुख्य आकर्षण पार्वती बाग, नैन सरोवर, बर्फ से डके ग्लेशियर,भीम लिपि,भीम डवार, ऊंची पहाड़ियां,कुदरती जड़ी बूटियों से युक्त ठंडा पानी, आप सतलुज नदी के दक्षिण पूर्व में किन्नौर और हंसबशन और अन्य आसपास की चोटियों की कुल्लू, जोर्कंदन और रंगरिक पर्वतमाला को देख सकते है आपको इस ट्रेक में बहुत आनंद आने वाला है आपको श्रीखंड तक 11 पड़ावों का सामना करना पड़ता हैं
यात्रा की सही शुरुआत
श्रीखंड महादेव जी की यात्रा निरमंड के छोटे से गांव से होकर गुजरती हैं जिस जगह का नाम है बायल
गांव से होकर एक रास्ता गुजरता हुआ और वहां की खूबसूरती को वर्णन करता हुआ गुजरता है आधे रास्ते पहुंच कर श्री गणेश, भगवान शिव और माता पारवती जी के पावन दर्शन होते हैं जो कि एक ही पेड़ के नीचे विराजमान है उस वृक्ष को पीपल वृक्ष के नाम से जाना जाता हैं। देव ढांक (देव का पत्थर) देव का पत्थर का मतलब है देव ढांक ये जगह देव ढांक के नाम से प्रसिद्ध है। यहां पर एक गुफा है कहा जाता है कि इस गुफा में महादेव ने अपने त्रिशूल से प्रहार कर के श्रीखंड के लिए गुफा बनाई थी। यहां से बेल पत्र ले जाने की मान्यता भी है बेल पत्र शिव को अति प्रिय है यहां आपको बेल पत्र आसानी से मिल जाता है जो आप श्रीखंड महादेव को अर्पित कर सकते हैं। इसका चड़ावा लगाने से शिव शीघ्र ही प्र्सन होते है और आप की मनोकामाना पूर्ण कर देते हैं देव ढांक श्रीखंड का पहला पड़ाव भी माना जाता है
देव ढांक की कथा
यहां की मान्यताओं के अनुसार कहा जाता है कि यहां भस्मासुर नामक एक असुर ने हजारों वर्षो शिव की तपस्या की थी शिव ने इस असुर की तपस्या से प्रसन्न हो कर इस असुर से जब वरदान मांगने को कहा तो इस असुर ने यह वरदान मांगा कि वो जिसके सर पे भी हाथ रखे वह भ्सम हो जाए शिव ने भी प्रसन्न हो कर भस्मासुर को ये वरदान दे दिया। भस्मासुर ने आसुरी प्रवृति के चलते कहने लगा की मंहदेव में कैसे मन लूँ की में जिस पर हाथ रखूँगा भस्म हो जायेगा। तो भस्मासुर महादेव पर ही हाथ रखने की कशिश करने लगा महादेव वहा से भाग कर इस गुफा मे छिप गए। और उन्होंने अपने त्रिशूल से प्रहार करके यहां से एक गुफा बना ली जो सीधी भीम डवारी पहुंचती है। और इस गुफा से श्रीखंड चले गए तभी से इस यात्रा की शुरुआत यहां से होती है और इस जगह का नाम देव ढांग के नाम से प्रसिद्ध है
शिमला से रामपुर 126 किमी की दुरी पर स्थीत है। रामपुर से निरमंड ,निरमंड से बागी पुल ,बागी पुल से जाओं गॉंव , जाओं गॉंव तक ही सड़क जाती है जाओं गॉंव से श्रीखंड महादेव की पैदल यात्रा शुरू होती है
श्रीखंड महादेव ट्रेक
रास्ता दुरी
जाओं से सिंगगाड़ 3 किमी
सिंगगाड़ से थाचडू 12 किमी
थाचडू से काली घाटी 3 किमी
काली घाटी से भीम द्वार 7 किमी
भीम द्वार से पार्वती बाग 2 किमी
पार्वती बाग से श्रीखंड महादेव 5 किमी
जाओं गांव
श्रीखंड महादेव ट्रेक जाओं गॉंव से शुरू होता है। जाओं गॉंव से श्रीखंड महादेव की एक तरफ की दुरी 32 किमी है। यह गॉंव बहुत ही सूंदर है। यहां जो घर है लकड़ी के बने हुए होते जो यहां की खूसूरती को चार चांद लगा देते है। जाओं गॉंव से यात्रा शुरू होती है और कुछ ही दूरी पर वहाँ पर आपको प्रसाद दिया जाता है। और ट्रेक करने के लिए लाठी दी जाती है बिना लाठी से ट्रेक करना असंभव है।
जाओं गॉंव बहुत ही खूबसूरत है। इसके पास में ही नदी बहती है जो की देखने मे काफी खुबशुरत लगती है ओर इस नदी मे पानी का बहाव बहुत ही जयादा होता है।इसका नाम कुरपति खड्ड है जाओं से चलने पर सिंगगाड़ पहला पड़ाव आता है। जाओं से सिंगगाड़ की दुरी 3 किमी है. जाओं से सिंगगाड़ का रास्ता घुमावदार है। और पखडंडी के ऊपर चलना होता है। प्रकृति के नजारे बहुत ही खुबशुरत है। सिंगगाड़ तक पहुंचते प[हुंचते आप इस यात्रा की कठिनायी अंदाज़ा लगा सकते है। श्रीखंड से जितनी भी धाराएं बहती है वो सब कुरपति खड्ड में मिलती है।
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सिंगगाड़
सिंगगाड़ में पहुंचते ही आपको खाने के लिए लंगर मिल जायेगा जो की बहुत ही सबदिष्ट होता है। यहां पर रुकने का प्रभ्धान भी होता है। या आप अपना तम्बू भी यहां लगा कर रुक सकते है। सिंगगाड़ तक आपको मोबाइल का नेटवर्क मिल जायेगा यहां आप कुछ पैसे दे कर अपना मोबाइल या पावर बैंक चार्ज कर सकते है।
सिंगगाड़ से अगला रुकने का स्थान थाचडू मे होता है सिंगगाड़ से थाचडू की दुरी 12 किलोमीटर है। सिंगगाड़ से थाचडू के रास्ते पर आपको बरहती नाला से आप कुरपन खड्ड को पार करते हैं और अधिक घने जंगल में प्रवेश करते हैं। आप जंगल में लगभग 5 किलोमीटर तक चढ़ाई करते हैं और आसपास के मंदिर के साथ जंगल के बीच में एक छोटे से खुले स्थान पर पहुँचते हैं।उसको हम थाचडू के नाम से जानते है।
थाचडू
यह यात्रा के दौरान एक जीवंत जगह है, क्योंकि कई स्थानीय टूर ऑपरेटर ने अपने बड़े बड़े टेंटो को लगया होता है वे यात्रा के समय के दौरान बहुत उचित कीमतों पर भोजन और रहने के विकल्प प्रदान करते हैं। वे श्रीखंड महादेव ट्रेक की आधिकारिक यात्रा समय के दौरान काम करते हैं और फिर अगले साल वापस आने के लिए छोड़ देते हैं। यह पहला बिंदु है जहाँ से आपको श्रीखंड महादेव शिखर के प्रथम दर्शन हो सकते हैं। अगर आप जांव से आ रहे हैं तो आप यहां आसानी से पहुंच सकते हैं यहां पर आप अपना तम्बू लगा के भी रह सकते है
थाचडू से कालीघाटी 3 किमी की दुरी पर है। थाचडू से आपको डंडी धार की चढाई करनी पड़ती है डंडी धार का अर्थ है की डंडे की धार आपको जैसी करना पड़ेगा जो की घने जंगल के बिच से हो कर गुजरता है। आप अपने साथ पानी की बोतल जरुरु रखे जो की आपको इस चढाई में चढ़ने की मदद करेगी जय भोलेनाथ के जयकारो के साथ चढाई आसानी से हो जाती है। रास्ता काफी संकरा है और मिटटी भी ठोस नहीं है एक लम्बी चढाई और घने जंगलो के बाद आप झाड़ियों और छोटी चोटियों को अपने बिखरते हुए पायोगे इससे अगला स्थान काली घाटी है
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कालीघाटी
काली घाटी माता काली को समर्पित है। काली घाटी में माता काली की मूर्ति स्थापित है यहां पर कुछ साधुओ के दोवारा शिव महापुराण का यज्ञो भी आयोजित किया जाता है।
आप कालीघाटी चोटी पर पहुँचते हैं जो श्रीखंड महादेव ट्रेक पर एक और बेस कैंप के रूप में प्रस्तुत होता है। पहली बार, आपको 360 डिग्री का दृश्य मिलता है और अगले दिन ट्रेकिंग के लिए रास्ता देख सकते हैं। काली घाटी बहुत ही सूंदर दृश्यों देखने को मिलते है जो की आपको और कहीं नहीं मिलेंगे काली घाटी से भीम द्वार 7 किमी की दुरी पर है। काली घाटी से 1 किमी उतराई और थोड़ा सीधा चलने पर आप भीम तलाई पहुंचते है।
भीम तलाई
भीम तलाई एक बहुत ही खुबसूरत जगह है। भीम तलाई मतलब है की भीम की ऐड़ी जब आप इस तलाब को देखेंगे तो ये भीम की एड़ी सी प्रतीत होती है जो की पानी से भरी हुई है जो की दूर से देखने पर वेहद खुबशुरत लगती है। भीम तलाई के चलने के बाद आप कुणसा घाटी में पहुंचते है। जो की बहुत ही हरी भरी है। और वहां का नजारा और ज्यादा खुबशुरत है। यहां रुकने के लिए त्मबू भी मिल जाते है कुणसा से अगला पड़ाव भीम द्वारी मे है।
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भीम दवारी
भीम द्वारी में रुकने के लिए उचित स्थान है। जहां पर आपको खाने पिने का सामान मिल जाता है और आप अपना तम्बू भी लगा सकते है जैसे कि मैने आपको बताया था कि देव ढांक की गुफा भीम डवारी निकलती है शिव के भीम द्वारी पहुंचने के बाद यहां विष्णु और ब्रम्हा प्रकट हुए और शिव ने भस्मासुर को समाप्त करने के लिए विष्णु भगवान को मोहिनी रूप में कहा तब विष्णु भगवान ने मोहिनी का रूप धारण कर लिया और जब वहां भस्मासुर पहुंचा तो उसे मोहिनी दिखाई दी और भस्मासुर मोहिनी की सुंदरता देख कर मंत्रमुगध हो गया और उसे अपनी पत्नी बनाने के लिए कहने लगा तब मोहिनी ने भस्मासुर को कहा कि अगर तुम मेरे साथ नृत्य करोगे तो वो उसकी अर्धाग्नी बन जाएगी भस्मासुर इस बात को तुरंत मान गया और नृत्य करने लगा।नृत्य करते करते अपने सर पे ही हाथ रख भस्म हो गया।
भीम दवारी का नाम भीम दवारी क्यों पड़ा
पौराणिक कथाओं के अनुसार यहां एक बक्का सुर नाम का राक्षस रहता था। जिस को भीम ने इस जगह पर मारा था। इस स्थान पर आज भी यहां की मिटटी लाल दिखाई देती है। भीम द्वारी से आगे पार्वती बाग आता है।
पार्वती बगिचा
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार माना जाता है की पार्वती माँ ने यहां 50 बर्ष शिव भगवान से शादी करने के लिए तपस्या की थी। और इस इस स्थान पर कई प्रकार की जड़ी बुटिया है। और अनेक प्रकार के फूल है। उनमे से ब्रह्म कमल सबसे खुबशुरत होता है। इसे देवताओं का फूल भी माना जाता है। माना जाता है की इस स्थान पर संजीवनी बूटी भी पायी जाती है। पर किसी को उस की पहचान नहीं है। पार्वती घाटी को फूलो की घाटी भी कहते है जड़ी बूटियों की खुसबू चारो तरफ फैली रहती है। यहाँ ज्यादा देर रुकने से कई श्रद्धालु बेहोश तक है।
पार्वती बागीचा ट्रेक का अंतिम पड़ाव स्थल है। इस बिंदु से परे, आपको शिखर पर पहुंचने और उसी दिन वापस लौटने की आवश्यकता है क्योंकि इस बिंदु के बाद ठहरने, भोजन और पानी की उपलब्धता नहीं है। यात्रा के दौरान यह अंतिम शिविर स्थल है
नैन सरोवर
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार नैन सरोवर में माता पार्वती की आंख का आंसू गिरा था इस लिए इस जगह का नाम नैन सरोवर पड़ा है। यहां एक माता का स्थान है जहां पर श्रद्धालु पूजा करते है। नैन सरोवर में झील है जो की काफी खुबशुरत है। नैन सरोवर झेल में स्नान कर के आप श्रीखंड महादेव के लिए चल सकते है
अंतिम 3 4 किमी चलने के बाद ऐसा लगता है की हम बादलो के ऊपर पहुंच गए हो और आकाश के बेहद करीब लगता है अंतिम यात्रा में ही ऑक्सीजन की कमी महसूस होती है श्रीखंड महादेव की सुंदरता अलग ही लगती है जिस का शब्दों में नहीं बतया जा सकता ऐसी खूबशूरती कहीं और नहीं दिखेगी
शिव लिंग की ऊंचाई 72 फ़ीट है इसके पीछे भगवान कार्तिके की चोटी भी है पर वहां तक पहुंचना असंभव है। वहां पर २ चोटिया और है जोकि माँ पार्वती और गणेश भगवन की मानी जाती है
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श्रीखंड महादेव ट्रेक के लिए सर्वश्रेष्ठ समय
बर्ष के ज्यादातर महीने यह ट्रेक बंद रहता है। इस ट्रेक का योजन हर बर्ष जुलाई में पूर्णिमा के दिन से लेकर अगस्त में पूर्णिमा के दिन तक (आशा पूर्णिमा से श्रावण पूर्णिमा तक हिंदू विक्रम कैलेंडर के अनुसार) हिमाचल प्रदेश राज्य सरकार द्वारा आयोजित की जाती है। पर क्यी बार मौसम खराब होने के कारण इस यात्रा पर रोक लगाई जाती है। और 2 या 3 दिन के अंतराल के बाद यह खुल जाता है
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श्रीखंड महादेव ट्रेक के लिए क्या ले
जैसा की आप लोग जानते है की श्रीखंड महादेव काफी कठिन ट्रेक है। और काफी लम्बा ट्रेक है। इसलिए इस ट्रेक पर हल्की फुल्की चीज़े या जरुरत की चीज़े ही ले कर चले
फर्स्ट ऐड किट
रैनकोट
ट्रेकिंग बाले जूते
स्मार्टफोन या कॉम्पैक्ट कैमरा - जिस से आप मणिमहेश और आसपास के घाटी की फोटो ले सके
पावरबैंक
पानी की बोतल
आपको अपने साथ एक छड़ी भी ले जानी चाहिए
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कैसे पहुंचे
श्रीखंड पहुंचने के लिए आपको पहले रामपुर बुशहर पहुँचना होगा
रामपुर सड़क के माध्यम से जुड़ा हुआ है आपको देश की राजधानी दिल्ली , चंडीगढ़ , शिमला , चम्बा ,से सीधी बस मिल जायँगी या आप कैब कर के भी यहां पहुंच सकते है
निकटतम रेलवे स्टेशन आपको सबसे नजदीक रेलवे स्टेशन शिमला मैं मिलेगा शिमला से आपको कैब या बस के माध्यम से आप रामपुर तक पहुंच सकते है
निकटतम हवाई अड्डा सबसे नजदीकी हवाई अड्डा भी शिमला मे ही है। कैब या बस के माध्यम से आप यहाँ आसानी से पहुंच सकते है।
शिमला से रामपुर 126 किमी की दुरी पर स्थीत है। रामपुर से निरमंड ,निरमंड से बागी पुल ,बागी पुल से जाओं गॉंव , जाओं गॉंव तक ही सड़क जाती है जाओं गॉंव से श्रीखंड महादेव की पैदल यात्रा शुरू होती है
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